अंकल अंकल बात सुनो ना,
लंबी गाड़ी वाले अंकल,
ईद का दिन है,
मेरी उमर के सारे बच्चे,
रंग बिरंगे कपड़े पहने,
चम चम करते मंहगे जूते,
बङे बङे नोटों की ईदी,
कितने ख़ुश हैं,
देखें मेरे पाँव बुरीदा,
पाँव में ये टूटी चप्पल,
कोई बङा ना कोई ईदी,
फिर भी खुश हूँ,
लेकिन अंकल,
वो जो उस दीवार के पास,
इक चार बरस की बच्ची है ना,
मेरी छोटी बहना है वो,
कुङा दान से उस की ख़ातिर,
एक ही पांव के दो जूते,
और बङी कोठी से उतरन के कपङे लाया हूँ,
लेकिन पगली कहती है के,
भैय्या मुझको कंगन ला दो,
देखें अंकल,
मेरी जेब में चंद रुपये है,
ठहरें मैं गिनता हूँ इनको,
दस का नोट और चंद एक सिक्के,
कुल मिला कर सत्रह (17) हैं ,
तीन (3) रुपए बस दे दें मुझ को,
मैं अपनी छोटी बहना को,
दस दस(10) के दो कंगन ला दूँ ,
अंकल अंकल बात सुनो ना,
लम्बी गाड़ी वाले अंकल…...
ईदी- some money given by elders on Eid-festival
बुरीदा- cut, clipped
उतरन- rejected
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