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टूटी तो मैं तब भी नहीं... :: punjabizm.com
Punjabi Poetry
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ਗੁਰਦਰਸ਼ਨ ਮਾਨ
ਗੁਰਦਰਸ਼ਨ
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Location: 143001
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टूटी तो मैं तब भी नहीं...
टूटी तो मैं तब भी नहीं...
जब पैदा होते ही दादी माँ ने कहा था,
"पहला ही जीव और वो भी पत्थर"

टूटी तो मैं तब भी नहीं,
जब छोटे भाई का जन्मदिन मनाते
और मेरी बारी तारीख भूल जाते

टूटी तो मैं तब भी नहीं,
जब भैया के 35% से पास होने पर
लड्डू बांटते
और मेरे 96% पर कहते
"कोई नई बात है क्या ?"

टूटी तो मैं तब भी नहीं,
जब किसी लड़के के लिए नहीं,
मर्जी का कुर्ता चुनने के लिए
मारा और रोने भी न दिया,

और तू ? तू मुझे तोड़ेगा ?
इस कसूर के बदले कि मैंने तुझसे
मोहब्बत की है ?

जा ! निकाल दे यह वहम दिल से,
यह ना भूलना कि 24 साल पहले
मेरे बाप के घर में 'बेटी' नहीं 'पत्थर'
पैदा हुआ था....

झुकना, रुकना, गिरना, टूटना...
पत्थर के हिस्से नहीं आया।।
10 Dec 2017

sukhpal singh
sukhpal
Posts: 1422
Gender: Male
Joined: 27/Mar/2013
Location: melbourne
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very well written sir g,............thanks for sharing.

15 Dec 2017

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