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आंसु |
ये दिल की किश्तियों में बैठना ,यूं ही निकल जाना जरा इस झील से पूछो, ये पानी क्यों सताते हैं |
मुझे कुछ तो खबर है ,आंसुओं की राजदा हूँ मैं मेरी ख़ाहिश के पैकर , आंसुओं में बदल जाते हैं |
इन्हें बहना ही होता है , कहाँ इससे नहीं मतलब बहाना ओढ़ कर, तेरी मेरी आँखों में आते हैं
_______________________________ ਨੀਰੁ ਅਸੀਮ
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13 Dec 2012
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