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अफ़सोस |
बेशक शर्मिंदा है पूरा मुल्क तुम्हारे साथ जो हुआ , मेरी निर्दोष फ़िजिओथेरेपिस्त दोस्त!!! मगर मुझे मालूम है इतनी शर्मिंदगी के बावजूद तुम आखिरी नही , और पहली ????? मानव के सभ्य होने के साथ ही बनी थी शिकार जब पुरुष ने किया था निजी संपत्ति का अविष्कार पलटा था मातृसत्ता को और औरत , वो भी शुमार हो गयी थी उसी संपत्ति में तब से लेकर अब तक कई मनु , मोहम्मद ,ईसा, और बुद्ध सब ढकेलते गए अपने द्वारा बनाये गए इस पुरुष प्रधान नर्क में और इससे निष्कृति बताया पुरुष सेवा के सहारे एक अज्ञात स्वर्ग का ख्वाब तुम चुपचाप सहती रही पूजा करती रही उस अज्ञात स्वर्ग की खातिर आक्रंताओ,राजाओ के हमलो में भी हर बार आखेट बनी तुम ही , लोकतंत्र में भी कभी मनोरमा ,कभी सोनी सोरी सेना ,पुलिस, हुक्मरान सबकी आखेट बनी आधुनिकता क ढोंग के बावजूद इज्जत के नाम पर भी हर बार अपनों और परायो ने खूब खेला स्वाभिमान का खेल और इन वारदातों के सहारे वो कैद करना चाहते है तुम्हारी खुली उड़ान को चहारदीवारी में और अफ़सोस वहां भी तथाकथित अपनों में भी तुम एक आखेट की तरह !!! नहीं नहीं नहीं बहुत हो चूका , बजाओ अब बगावत का बिगुल इस पितृ सामंती सोच के खिलाफ औरत को कमोडिटी समझने वाले इस बाजार के खिलाफ इस व्यवस्था के खिलाफ इन तमाम कानून कानून चिल्लाने वाले 'ढोंगी बिल्लो' के खिलाफ
दुर्गा,काली,सीता ,और द्रौपदी बनकर नहीं ,,,
सिमोन द बोउवा ,रोजा लाक्साम्बर्ग, क्लारा जेटकिन ,फूलन देवी, और इरोम शर्मीला बनकर कभी न समझौता करने वाली विरासत के साथ ढहा दो, मिटा दो इन सारे गढ़ो-मठों को इक नयी सुबह तुम्हारा इंतजार कर रही है .............................
-सुधांशु बाजपेयी
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23 Dec 2012
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Nice sharing Bittu Jee,,,
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23 Dec 2012
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shi gall a ji ... eh aakhiri tan nahi .. havas de drindia ne eh krde rhina a ... kai case tan pubilc de samne hi nahi aaunde ....
tfs vir ji
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23 Dec 2012
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ਆਪਣੀ ਮੰਜੀ ਥੱਲੇ ਸੋਟੀ ਕੋਣ ਮਾਰੇ.....tfs.....ਬਿੱਟੂ ਜੀ.......
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23 Dec 2012
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