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बोल रहा था |
बोल रहा था कल वो मुझसे हाथ में मेरा हाथ लिए चलते रहेंगे सुख दुःख के हम सरे मौसम साथ लिए
उसने अपनी झोली से कल प्यार के हमको फूल दिए लौट आए हैं दामन भरके उनकी येह सौगात लिए
रंग डालो तन मन की बगीया फागुन बन कर छा जाओ बरस पड़ो दिल के आँगन में रंगों की बरसात लिए
हमने अपनी सारी शामें लिखदी उनके नाम 'क़तील' उमर का लम्हा लम्हा बीता उनको अपने साथ लिए
बोल रहा था कल वो मुझसे हाथ में मेरा हाथ लिए चलते रहेंगे सुख दुःख के हम सरे मौसम साथ लिए
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04 Sep 2012
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