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चीरहरण करो :: punjabizm.com
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ਬਿੱਟੂ ਕਲਾਸਿਕ  .
ਬਿੱਟੂ ਕਲਾਸਿਕ
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चीरहरण करो


चीरहरण करो  -------------- बहुत तपिश है इस छाँव में  रुदन है ,हर शब्द मेरे वक़्त का ।  तुम रंगबिरंगे अंगारों का  आनन्द उठाते हो ..? यह आतिशबाजी  मेरे जिस्म से उठी है  मेरी मौलिक अग्न ..।  मैं दीवाली नहीं मना रही ।  दुर्योधन ! मैं द्रौपदी , तेरे दरबार में हूँ । पितामह ! फल लदे वृक्ष की तरह  सर न झुकाना  नदीन* निकालने का वक़्त गुज़र चुका ।  आज मैं कृष्ण को नहीं पुकारुगी , मुझे अपना पेट दिखाना है  मैं तैयार हूँ  चीरहरण करो ... ____________ _________@[1097449809:2048:Neeru Aseem]  (*नदीन - अनचाहे पौधे ) नीरू असीम की पंजाबी से हिंदी में अनूदित कुछ  कविताएँ  "सिताब दियारा " पर  http://sitabdiyara.blogspot.in/2012/12/blog-post_28.html?spref=fb

बहुत तपिश है इस छाँव में
रुदन है ,हर शब्द मेरे वक़्त का ।

 

तुम रंगबिरंगे अंगारों का
आनन्द उठाते हो ..?
यह आतिशबाजी
मेरे जिस्म से उठी है
मेरी मौलिक अग्न ..।

 

मैं दीवाली नहीं मना रही ।

 

दुर्योधन !
मैं द्रौपदी ,
तेरे दरबार में हूँ ।
पितामह !
फल लदे वृक्ष की तरह
सर न झुकाना
नदीन* निकालने का वक़्त गुज़र चुका ।

 

आज मैं कृष्ण को नहीं पुकारुगी ,
मुझे अपना पेट दिखाना है
मैं तैयार हूँ
चीरहरण करो

 

(*नदीन - अनचाहे पौधे )

ਨੀਰੁ  ਅਸੀਮ

 

नीरू असीम की पंजाबी से हिंदी में अनूदित कविता

28 Dec 2012

j singh
j
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Joined: 18/Nov/2011
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ਖੂਬ.....tfs......

29 Dec 2012

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