अब और नही सहा जाता ,जख्मों का भरना शायद न हो पाए,दिल करता है एक बार में इतना लिखूं ,कि लिखते-लिखते मौत आ जाये,और सब दर्द कविताओं में भर दूँ,और फिर चैन कि नींद सो जायें|कवित्री - तनवीर शर्मा
sohna likheya ee g