कोई पुकारता रहा, और दर्द सहता रहा रूह रोती रही पीड़ा पीती रही चित्कार सिमटती रही ... लाठियाँ चलती रही आहें भरते रहे दिल को सीते रहे और एक तुम हो कि.... मौनी बन कर ताकते रहे न सहला सके जख्मों को ये कैसा साधु भाव है तेरा सब देखता रहा तमाश मौन खड़ा बाँटता रहा....उस मौन की हदे, अपना ही बना रहा पराया। क्या शरीर के साथ ही ह्रदय भी पत्थार हो गया है तेरा.... देश के प्रधान....मंत्री स्वामी आनंद प्रसाद मनसा