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जवाब |
बीच आसमां , सात ऋषि , एक सुबह , पूछा मैंने , मैं और आप हमेशा ही , ... तारीकी के माहौल में चलते रहते है , मेरा तो ज़मीन से , बंधन है ....लेकिन , आप फलक के ऋषि मुनि ,लाफ़ानी है ! आप को इस गर्दिश का मकसद कोई समझ में आता है क्या ?
एक ऋषि ने मुँह फेरा और , मायूसी के सुर में बोला , मकसद समझ गए होते तो ..... ख़त्म हुई होती गर्दिश गर्दिश ही में अंत भी होगा
बेमकसद इस गर्दिश में ही , सारा खेल ,तुम्हारा मेरा , फँसा हुआ है !!
_______________ कुसुमाग्रज (तर्जुमा ---गुलज़ार )
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14 May 2013
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ਬਾ-ਕਮਾਲ....!!! ਤਿੰਨੇ ਹੀ ਕਮਾਲ ਨੇ.... ਲਿਖਤ, ਲ਼ਿਖਣ ਵਾਲਾ ਅਤੇ ਅਨੁਵਾਦਕ...।
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15 May 2013
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