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| ख़्वाब मरते नहीं |
ख़्वाब मरते नहीं ख़्वाब दिल हैं न आँखें न साँसें के जो रेज़ा-रेज़ा हुए तो बिखर जायेंगे जिस्म की मौत से ये भी मर जायेंगे ख़्वाब मरते नहींख़्वाब तो रौशनी हैं, नवा हैं, हवा हैं जो काले पहाड़ों से रुकते नहीं ज़ुल्म के दोज़ख़ों से भी फुकते नहीं रौशनी और नवा और हवा के अलम मक़्तलों में पहुँच कर भी झुकते नहीं
ख़्वाब तो हर्फ़ हैं ख़्वाब तो नूर हैं ख़्वाब तो सुकरात हैं ख़्वाब मन्सूर हैं..
____________ फ़राज़
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14 Feb 2013
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