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मैं हूँ ! |
मैं कैदखाना भी और फ़र्मान कैद का देने वाला भी मैं ! ...
ये कैदखाने का वहशी दरवाज़ा जुड़ा हुआ आहनी नुकीली सलाखी मैखों से वो भी मैं हूँ |
नुकीली मैखों पर सर पटकता , नजात को लहू से आलूदा होने वाला ,जो कैदी है वो वो भी मैं हूँ !! ------------------ कुसुमाग्रज (मराठी से अनुवाद -- गुलज़ार )
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29 Oct 2012
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