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नया जमाना |
पहले एक जमाना था
दिवाली के रोज़ खुले रहते थे घरों के द्वार
दादी माँ कहती थी -
लक्ष्मी आएगी
घूमेगी घर-घर
दीए जलाओ अंधेरे कोठों में
किवाड़ों को खुला रखो
अब एक ज़माना है
लक्ष्मी कुछ ही घरों में कैद
कंप्यूटराइज्ड तालों में बंद इन घरों के द्वार
बाकि अधिकतर को भी कोई भ्रम नहीं
लक्ष्मी आ जाएगी उनके घर सेंत-मेंत
किवाड़ों पर सांकल चढ़ी है
कहीं ऐसा ना हो जाए
जो भी कुछ थोड़ा बहुत घर में
उसे ही ले उड़े कोई
चोर-सेंधमार।
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12 Nov 2012
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