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ਹਮ |
अजनबी खुद को लगे हम, इस कदर तन्हा हुए हम उम्र भर इस सोच में थे, क्या कभी सोचे गए हम
खूबसूरत ज़िंदगी थी, तुम से मिलकर जब बने हम चाँद दरिया में खड़ा था, आसमाँ तकते रहे हम
सुबह को आँखों में रख कर, पल-पल जले हम खो गए हम भीड़ में जब , फिर बहुत ढूँढे गए हम
इस ज़मीं से आसमां तक,था जुनूँ उलझे रहे हम जीस्त के रस्ते बहुत थे, हर तरफ रोके गए हम
लफ्ज़ जब उरियाँ हुए तो, फिर बहुत रुसवा हुए हम जागने का ख़्वाब ले कर, देर तक सोते रहे हम
तेरे सच को पढ़ लिया था, बस इसी खातिर मिटे हम.......
unkwn...
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13 Dec 2012
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