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अंगूठी |
वह औरत , अक्सर देखी जा सकती है , चौक में ,सडकों पर , कागज़ के टुकड़े उठाती, कांच ,चपले और वह सब कुछ , जो उसके बिना , सब के लिए फ़ालतू है .....
सूरज के साथ लडती आ रही है , सड़क के जैसी वह औरत .... ... उसके पावो के तलवे ही , उसकी चपले बन गयी हैं , उसके जिस्म पर से कपडे , फट गए है , जहा से उन्हें नहीं चाहिए था , फटना ........
देख रहा हूँ
उसकी अंगूठी पहनने वाली अंगुली , खाली नहीं है .........
--------------------- देवनीत (पंजाबी से हिंदी में अनूदित)
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28 Oct 2012
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Is this related to Gender ratio or smthing else
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28 Oct 2012
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