|
 |
 |
 |
|
|
Home > Communities > Punjabi Poetry > Forum > messages |
|
|
|
|
|
जान जाएगी, जान जाओगे |
कब यह सोचा था यूँ सतायोगे अलविदा ! और भूल जाओगे
हर सू रंगीं बहार राइज़ है आ गये फूल तुम कब आयोगे
कैसे जीते हैं लोग मर कर भी जान जाएगी, जान जाओगे
तुम भी, सोचा न था कभी होगा यूँ मेरा ज़ब्त आज़माओगे
शाम-ए-जीस्त अब , कि तुम तो कहते थे शाम ढलते ही लौट आओगे
कैसे जीता हूँ देखने के लिए मर भी जाऊंगा क्या तुम आओगे ?!!
जानते, तुम तलक को हार चुका इस से आगे भी कुछ हराओगे
यही एजाज़ -ए-राह-ए - फुरकत बस रो ही दूंगा न गर रुलाओगे
दिन नहीं दूर कि शिकवा होगा मेरा पूछोगे और न पाओगे
अब कि हारा तो तेरी जीत नहीं मैं न कहता था हार जाओगे
चले जाओ कि अब कि जाते हो याद आओगे, बहुत आओगे !!!
|
|
27 Feb 2012
|
|
|
|
What a fluency!!! I may steal few of your stanzas.. Bahut hi khoob...
|
|
27 Feb 2012
|
|
|
|
ਚਰਨਜੀਤ ਜੀ.....ਨਵੀ ਪੇਸ਼ਕਾਰੀ.......ਹਿੰਦੀ ਵਿਚ ਵੀ ਮਾਸ਼ਾਲਾ ਕਾਫੀ ਚੰਗੀ ਪਕੜ ਹੈ! ਜੀਓ
|
|
28 Feb 2012
|
|
|
|
|
|
|
ਮੇਰਾ ਸ਼ੁਕਰੀਆ ਕਿਥੇ ਹੈ ?
|
|
29 Feb 2012
|
|
|
|
shukriya aap sabh da
special dhanwaad: jujhar ji da
|
|
11 Mar 2012
|
|
|
|
gud one in hindi .....
bahut vadia veer g...
|
|
11 Mar 2012
|
|
|
|
|
|
|
|
 |
 |
 |
|
|
|
|
|
|
Copyright © 2009 - punjabizm.com & kosey chanan sathh
|