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"शिवकाशी में पटाखे़ बनाने वाले बच्चे की कविता" |
बचपन में बनवाते हो पटाख़े
और
नौजवानी में बम बनाने से
रोकते हो?
आज जीने के लिए
बनाते हैं पटाख़े
कल जीने के लिए
क्यों न बनाएँ बम?
आज
तुम्हारे मुनाफ़े की शर्त है
हमारा जीना
लेकिन मत भूलना
कि हमारे जीने की शर्त है
तुम्हारे मुनाफ़े का ख़ात्मा।
- कात्यायनी
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14 Nov 2012
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Bilkul sahi........tfs.......
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14 Nov 2012
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14 Nov 2012
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