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Mujhe tumse nahi tumhare waqt se shikayat hai Jo tumhe mere liye ________ kabhi mila hi nahi
08 Jan 2015
ah jism tera hai saambh lai
ਆਹ ਜਿਸਮ ਤੇਰਾ ਹੈ ਸਾੰਭ ਲੈ ਓਹਦਾ ਇਸ ਤੇ ਕੋਈ ਨਿਸ਼ਾਨ ਨਾ ਓਹਨੁ ਦੂੰਡ ਨਾ ਇਸ ਵਜੂਦ ਚੋ ਮੈਂ ਤਾ ਰੂਹ ਚ ਉਸ ਨੂ ਰਲਾ ਲਇਆ .. ਪਾਤਰ
09 Jan 2015
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है - By Ram Prasad Bismil
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।
करता नहीं क्यों दुसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है ।
रहबर राहे मौहब्बत रह न जाना राह में लज्जत-ऐ-सेहरा नवर्दी दूरिये-मंजिल में है ।
यों खड़ा मौकतल में कातिल कह रहा है बार-बार क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है ।
ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है ।
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां, हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।
खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मींद, आशिकों का जमघट आज कूंचे-ऐ-कातिल में है ।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है । __
रहबर - Guide लज्जत - tasteful नवर्दी - Battle मौकतल - Place Where Executions Take Place, Place of Killing मिल्लत - Nation, faith
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है - By Ram Prasad Bismil
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।
करता नहीं क्यों दुसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है ।
रहबर राहे मौहब्बत रह न जाना राह में लज्जत-ऐ-सेहरा नवर्दी दूरिये-मंजिल में है ।
यों खड़ा मौकतल में कातिल कह रहा है बार-बार क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है ।
ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है ।
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां, हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।
खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मींद, आशिकों का जमघट आज कूंचे-ऐ-कातिल में है ।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है । __
रहबर - Guide लज्जत - tasteful नवर्दी - Battle मौकतल - Place Where Executions Take Place, Place of Killing मिल्लत - Nation, faith
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09 Jan 2015
raat chup chaap
रात चुपचाप दबे पाँव चली जाती है रात ख़ामोश है रोती नहीं हँसती भी नहीं कांच का नीला सा गुम्बद है, उड़ा जाता है ख़ाली-ख़ाली कोई बजरा सा बहा जाता है चाँद की किरणों में वो रोज़ सा रेशम भी नहीं चाँद की चिकनी डली है कि घुली जाती है और सन्नाटों की इक धूल सी उड़ी जाती है काश इक बार कभी नींद से उठकर तुम भी हिज्र की रातों में ये देखो तो क्या होता है
gulzar
09 Jan 2015
मुझसे इक नज़्म का वादा है, मिलेगी मुझको डूबती नब्ज़ों में, जब दर्द को नींद आने लगे ज़र्द सा चेहरा लिए चाँद, उफ़क़ पर पहुंचे दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के क़रीब न अँधेरा, न उजाला हो, यह न रात, न दिन ज़िस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आए मुझसे इक नज़्म का वादा है मिलेगी मुझको
gulzar
09 Jan 2015
ਮੇਰੀ ਤੇ ਓਹਦੀ ਮੁਹੱਬਤ ਵਿੱਚ ਫਰਕ ਸਿਰਫ ਇੰਨਾ ਸੀ, ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਸਿਰਫ ਓਹ ਤੇ ... ਓਹਨੂੰ ਸਾਰਾ ਜ਼ਮਾਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਸੀ "
unknown
09 Jan 2015
ਬੇਈਮਾਨਾਂ ਦਾ ਵੀ ਕੋਈ ਈਮਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ,, ਹਰ ਸ਼ੈਤਾਨ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਭਗਵਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ,, ਬੰਦੇ ਦਾ ਕਿਰਦਾਰ ਤੇ ਕਰਮ ਬਣਾਉਂਦੇ ਨੇ ਮਹਾਨ ਉਸਨੂੰ ,, ਨਾ ਕਿ ਕੋਈ ਜੰਮਦਾ ਹੀ ਮਹਾਨ ਹੋਂਦਾ ਹੈ ,,
unknown
09 Jan 2015
ਮਿਲ ਜਾ ਅੱਖ ਮੀਚਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ, ਨਬਜ਼ ਮੇਰੀ ਦੇ ਰੁਕਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ, ਕਿਉਂਕਿ ਸੂਰਜ ਸਾਹਮਣੇ ਰਾਤ ਨੀ ਹੁਂਦੀ, ਸਿਵਿਆਂ ਵਿੱਚ ਮੁਲਾਕਾਤ ਨੀ ਹੁਂਦੀ.
unknown
09 Jan 2015
ਝੂਠ ਹੀ ਹਮੇਸ਼ਾ ਕਾਰਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਰਿਸ਼ਤੇ ਟੁੱਟਣ
ਦਾ " ਕੁਝ ਲੋਕ ਸੱਚ ਦਾ ਬੋਝ ਵੀ ਬਰਦਾਸ਼ਤ ਨਹੀਂ ਕਰ ਪਾਉਂਦੇ. # kang
09 Jan 2015